जानिए कौन हैं  शिवाजी गणेशन, जिन्होंने 7 साल की उम्र में छोड़ दिया था अपना घर

 गूगल ने कल भारतीय सिनेमा के पहले मेथड आर्टिस्ट में से एक शिवाजी गणेशन के जन्मदिवस पर उनका डूडल बनाकर उनके जन्मदिवस को ऐतिहासिक बनाया। शिवाजी गणेशन भारत के पहले मेथड आर्टिस्ट तथा भारत सिनेमा के प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक थे।

Oct 2, 2021 - 17:23
December 10, 2021 - 10:06
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जानिए कौन हैं  शिवाजी गणेशन, जिन्होंने 7 साल की उम्र में छोड़ दिया था अपना घर
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गूगल ने कल भारतीय सिनेमा के पहले मेथड आर्टिस्ट में से एक शिवाजी गणेशन के जन्मदिवस पर उनका डूडल बनाकर उनके जन्मदिवस को ऐतिहासिक बनाया। शिवाजी गणेशन भारत के पहले मेथड आर्टिस्ट तथा भारत सिनेमा के प्रभावशाली अभिनेताओं में से एक थे। शिवाजी गणेशन के 93वें जन्मदिन के खास अवसर पर गूगल ने अपना डूडल उनके नाम समर्पित कर खास बनाया।

शिवाजी गणेशन की 93वी जन्म जयंती: साउथ इंडियन सिनेमा के सुपरस्टार तथा भारत के पहले मेथड आर्टिस्ट्स में से एक सुपरस्टार शिवाजी गणेशन जी की कल 93वीं जन्म जयंती मनाई गई। जिसे गूगल ने उनके ऊपर डूडल बनाकर ऐतिहासिक बना दिया। गणेशन ने लगभग 300 फिल्मों में अभिनय कर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज भी चाहे साउथ सिनेमा हो या बॉलीवुड उनके किए गए कामों को नए कलाकारों के सामने मिसाल के रूप में पेश किया जाता है।

थिएटर के लिए 7 साल की उम्र में छोड़ा घर: शिवाजी गणेशन का जन्म 1 अक्टूबर 1928 में तमिलनाडू के विल्लुपुरम में वी. चिन्नैया मनरायर गणेशमूर्ति के रूप में हुआ था। गणेशन ने महज 7 साल की उम्र में अभिनय के लिए अपना घर छोड़ दिया तथा पास के ही एक थिएटर ग्रुप से जुड़ गए। गणेशन ने महज 10 साल की उम्र में एक अभिनेता के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। शुरुआत में उन्होंने बाल कलाकार तथा महिलाओं के रूप में अभिनय किया। शिवाजी गणेशन ने थिएटर से जुड़कर विभिन्न तरह के शास्त्रीय नृत्यों को विधिवत सीखा जिनमें ‘भरतनाट्यम’, ‘कत्थक, व ‘मणिपुरी’ प्रमुख हैं।

वी. चिन्नैया मनरायर गणेशमूर्ति बने शिवाजी गणेशन:

भारतीय सिनेमा में आप ऐसे कई कलाकारों को जानते होंगे जिन्होंने फिल्मों में काम करने के लिए अपना नाम बदला लेकिन    N शिवाजी गणेशन एकमात्र ऐसे कलाकार हैं जिनके अभिनय को देखकर दर्शकों ने उनका नाम शिवाजी गणेशन रखा। बात उनके थिएटर के दिनों की है जब  वह एक नाटक ‘शिवाजी कांडा हिंदू राज्यम’ में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की भूमिका अदा कर रहे थे। इस नाटक में शिवाजी का किरदार उनके अभिनय में एकदम जीवंत हो उठा। जिसके बाद गणेशमूर्ति हमेशा के लिए शिवाजी गणेशन हो गए।

सिर्फ तमिल ही नहीं कई भाषाओं में किया अभिनय: शिवाजी गणेशन ने 5 दशकों तक रंगमंच को अपना अतुलनीय योगदान दिया। उन्होंने अपने रंगमंच के सफर में तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम तथा हिंदी में लगभग 300 फिल्में की। शिवाजी गणेशन ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत 1952 में आई फिल्म पराशक्ति से की थी। 1961 में आई फिल्म 'पसमालर' जो कि एक फैमिली ड्रामा थी, उनके जीवन की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर साबित हुई। जिसे आज भी तमिल सिनेमा के लिए सबसे बड़ी उपलब्धियों में गिना जाता है। साल 1964 में आई फिल्म 'नवरथी' गणेशन की 100वीं  फिल्म थी जिसमें उन्होंने रिकॉर्ड तोड़ एक साथ 9 किरदार निभाए थे। जिसके बाद से उन्हें Nadigar Thilagam बुलाया जाने लगा जिसका मतलब है कलाकारों का गौरव।

अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पाने वाले पहले भारतीय अभिनेता: साल 1960 में इजिप्ट के कायरो शहर में आयोजित मेट्रो एशियन फिल्म फेस्टिवल में शिवाजी गणेशन ने 1960 में आई उनकी फिल्म “वीरपांडिया कट्टाबोम्मन” के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड अपने नाम किया। जिसके साथ ही गणेशन अंतर्राष्ट्रीय सम्मान पाने वाले पहले भारतीय अभिनेता बने। गणेशन को इसके अलावा चार बार फिल्मफेयर अवार्ड साउथ, 1 नेशनल अवॉर्ड, तथा शिवाजी गणेशन को 1997 में भारत सरकार द्वारा भारतीय सिनेमा के सबसे प्रसिद्ध सम्मान ‘दादा साहब फाल्के’ सम्मान से सम्मानित किया गया।

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